Maharaja Surajmal : राजस्थान के इतिहास में कई ऐसे राजा हुए हैं जिन्होंने अपनी बहादुरी और समझदारी से पूरे राज्य को सुरक्षित रखा। इनमें से एक राजा ऐसा भी था जिसने अपनी ताकत और रणनीति के दम पर दिल्ली तक अपने अधिकार जमाए। लोग उन्हें जाटों के प्लेटो के नाम से जानते थे। उनके साहस और नेतृत्व की कहानियाँ आज भी राजस्थान के किलों और इतिहास की किताबों में जीवित हैं। इस राजा ने मुश्किल समय में भी अपने प्रजा और राज्य की सुरक्षा को सबसे पहले रखा और अपने राज्य का विस्तार किया। उनके किए गए कारनामे राजस्थान के वीरता और शौर्य की मिसाल माने जाते हैं। महाराजा सूरजमल का नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा हुआ है।

जाटों के महान शासक सूरजमल ने स्थापित किया स्वतंत्र और संगठित राज्य

महाराजा सूरजमल भरतपुर रियासत के राजा थे। जब 18 वीं शताब्दी में मुगलों और अफ़गानों का पूरे भारत में वर्चस्व स्थान। उस समय महाराज सूरजमल ने भरतपुर को एक सशक्त, स्वतंत्र और संगठित राज्य के रूप में स्थापित किया। अपनी शक्ति के बल पर दिल्ली तक पर अधिकार कर लिया।

वीर योद्धा और महान मानवतावादी शासक

महाराजा सूरजमल एक कुशल योद्धा थे। उनकी युद्ध नीति इतनी प्रभावशाली थी कि उन्हें जाटों का प्लेटो कहकर संबोधित करते हैं। इन्होंने एक से बढ़कर एक युद्ध लड़े हैं। और सभी युद्ध पर विजय प्राप्त किया। महाराजा ने कभी भी युद्ध क्षेत्र विस्तार के लिए नहीं लड़ा बल्कि बल्कि अपने राज्य की सुरक्षा और जनता के अधिकारों की रक्षा के लिए युद्ध लड़ी। उन्होंने राज्य में कानून व्यवस्था, जल प्रबंधन किलेबंदी और सामाजिक न्याय को नई दिशा दी। 

महाराजा सूरजमल को कई स्थानों पर मिली महाराजा कनिष्क की उपाधि

महाराजा सूरजमल के दरियादिली और न्यायप्रियता के कारण कई स्थानों पर उन्हें कनिष्क की उपाधि दी गई है। पूरे भारत में इनका नाम सम्मान पूर्वक गर्व के साथ किया जाता है। इनकी सोच को दूरगामी भी माना जाता था।

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