Rajasthan Tourism: राजस्थान में स्थित आलीशान महलों व स्मारकों का इतिहास काफी पुराना और रोचक है। इन्हीं आकर्षित स्मारकों में से एक है बूंदी शहर की चौरासी खंभों वाली छतरी जिसे यहां के राजा ने अपनी पत्नी या किसी परिवार के सदस्य नहीं बल्कि बचपन से उनका ख्याल रखने वाली दाई की याद में बनवाई थी। आज के समय यहां दुनियाभर से लोग घूमने और इससे जुड़े इतिहास के बारे में जानने आते हैं। 

इस राजा ने कराया था निर्माण 

इस खबसूरत स्मारक का निर्माण बूंदी शहर के राजपूत राजा अनिरूद्ध सिंह ने कराया था। दाई की याद में बनवाई गई यह स्मारक आज प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। जेसा बाई नामक दाई मां ने बचपन से राजा की देखभाल की थी। उन्हें दूध पिलाती, खेलती और उनकी देखभाल किया करती थी। 17वीं सदी में बनी इस शानदार स्मारक का सज्जा और भित्ति चित्रकारी देखने बनती है। 

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चमेली बाई की प्रतिमा 

जिस समय राजा महाराजा अपनी प्रमिकाओं व रानियों के लिए महलों का निर्माण करवा रहे थे, उस समय राजपूत राजा अनिरुद्ध सिंह ने अपना मां सामान दाई के लिए ऐतिहासिक स्मारक बनवाकर सबको हैरान कर दिया था। इस छतरी के करीब चमेली बाई की मूर्ति भी स्थित है। बता दें कि चमेली बाई राजा छत्रसाल की रखैल हुआ करती थी। बताते हैं कि राजा उनसे बेहद प्यार करते थे और उन्हीं की याद में इसका निर्माण किया गया था।  

राजाओं की देखभाल के लिए रखी जाती थी दाइयां 

बूंदी के इतिहासकार दुर्गा प्रसाद माथुर ने जानकारी दी कि बचपन में राजा-महाराजाओं के पालन-पोषण व उनकी देखभाल के लिए दाइयां रखी जाती थी। वे उन्हें दूध पिलाती थी और उनका ख्याल रखती थी। इसी कारण से एक दा बाई की जाति भी बना दी गई थी। जो महिलाएं राजघरानों में बच्चों की देखभाल का कार्य करती थी, उन्हें दाई मां कहा जाता था। पूरा बचपन उनके साथ बिताने के कारण राजाओं का लगाव दाई से हो जाता था। बताया जाता है कि राजा अनिरुद्ध अपनी मां से अधिक प्यार अपनी दाई से करते थे।  उनके देहावसान के बाद राजा ने इस स्मारक का निर्माण करवाया।