Rajasthan Krishna Temples: श्री कृष्ण जन्माष्टमी का नाम आते ही हमारे मन में बाल गोपाल की मासूम माखन चोरी, उनकी मुरली की धुन और गोकुल में उनकी नटखट शैतानियों की तस्वीर उभर आती है। जन्माष्टमी महज एक त्यौहार नहीं है बल्कि प्रेम, भक्ति और आनंद का एक भव्य उत्सव है। पूरे भारत में त्यौहार काफी उत्साह के साथ मनाया जाता है लेकिन राजस्थान में जन्माष्टमी का एक विशेष रंग होता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसे मंदिरों के बारे में जहां जन्माष्टमी का यह त्यौहार काफी धूमधाम से मनाया जाता है। 

श्रीनाथजी मंदिर, नाथद्वारा 

राजसमंद में स्थित नाथद्वारा को कृष्ण भक्तों का एक आध्यात्मिक निवास माना जाता है। जन्माष्टमी के उपलक्ष में यह मंदिर भक्ति के एक राजसी महल के रूप में बदल जाता है। मध्य रात्रि में भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव काफी शानदार तरीके से मनाया जाता है। भगवान को 56 छप्पन भोग लगाया जाता है और हजारों भक्तों की वजह से यहां का माहौल काफी भक्ति बड़ा हो जाता है। घंटियां, शंखों और आरती की गूंज से पूरा शहर भक्ति के रस में डूब जाता है।

गोविंद देव जी मंदिर, जयपुर 

जयपुर में स्थित है मंदिर जन्माष्टमी उत्सव का एक मुख्य केंद्र बन जाता है। इस त्यौहार पर मंदिर रोशनी से जगमगा उठता है और आधी रात को कान्हा का स्वागत करने के लिए हजारों लोग इकट्ठा होते हैं। बाल गोपाल को स्वर्ण आभूषणों से सुसज्जित किया जाता है और उन्हें झूले पर बिठाया जाता है। जन्मोत्सव के दौरान कीर्तन-भजन किया जाता है जिससे हर कोना राधे-राधे नाम से गूंज उठता है। 

खाटू श्याम जी मंदिर, सीकर

खाटू श्याम जी मंदिर में यह उत्सव दोहरी भूमिका में मनाया जाता है। श्री कृष्ण का जन्म और बाबा श्याम की महिमा दोनों ही इस मंदिर की भव्यता में चार चांद लगा देती है। पूरे मंदिर को फूलों से सजाया जाता है और भजन संध्या के दौरान यहां का वातावरण दिव्य हो जाता है। 

मदन मोहन मंदिर, करौली 

जन्माष्टमी मंदिर की सिर्फ दीवारों के अंदर ही नहीं बल्कि पूरे शहर में धूमधाम से मनाई जाती है। करौली में पूरा शहर जुलूस, झांकियों और लोक नृत्य में डूब जाता है। मध्य रात्रि में यह मंदिर घंटियों को ढोल की थाप से गूंज उठता है।

अंबाजी मंदिर, अजमेर 

अजमेर के अंबाजी मंदिर में जन्माष्टमी काफी पारंपरिक रूप से मनाई जाती है। महिलाएं बाल गोपाल के लिए झूले सजाती है और लोकगीत गाती हैं।

पुष्कर के कृष्ण मंदिर 

यूं तो पुष्कर ब्रह्मा मंदिर के लिए विश्व प्रसिद्ध है लेकिन जन्माष्टमी में यहां के कृष्ण मंदिरों में भी अनोखे रंग भर जाते हैं। घाट राधे राधे और श्री कृष्ण के नाम से गूंज उठते हैं। इसी के साथ कृष्ण की बाल लीलाओं को दर्शाती झांकियां भक्तों को मंत्रमुग्ध कर देती हैं।

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