Pitru Paksha 2025: जहाँ दीपक जलता है, वहाँ अंधकार नहीं रह सकता, पितृ पक्ष में आटे के दीपक का यही महत्व है। मान्यता है कि इस समय अपने पितरों को याद करना, उनके लिए श्राद्ध, तर्पण और दान करना अत्यंत शुभ होता है। ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष में एक छोटा सा दीपक भी अपार सुख प्रदान कर सकता है।

घर के मुख्य द्वार पर आटे का दीपक जलाने से न केवल पितरों की आत्मा तृप्त होती है, बल्कि घर में सुख, शांति और समृद्धि भी आती है। कहा जाता है कि इस दीपक की लौ नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त कर सकारात्मकता का संचार करती है।

क्या है महत्व

जब कोई व्यक्ति इस संसार से विदा लेता है, तो उसका पंचभौतिक शरीर अर्थात हाड़-मांस का शरीर अग्नि को समर्पित कर दिया जाता है, लेकिन उसके बाद सूक्ष्म शरीर, जिसे प्रेत शरीर भी कहा जाता है, की तृप्ति के लिए आटे के अंदर एक गोला बनाकर एक विशेष प्रक्रिया की जाती है। इसी कारण पितृ पक्ष में आटे के दीपक को विशेष महत्व दिया गया है।

आटे के दीपक से प्रसन्न होते हैं पितर

भादो पूर्णिमा से आश्विन अमावस्या तक के 16 दिनों को पितृ पक्ष कहा जाता है। मान्यता है कि इन दिनों में हमारे पूर्वज धरती पर आते हैं और अपने वंशजों से मिलने उनके घर आते हैं। ऐसे में अगर उनके स्वागत में आटे का दीपक जलाया जाए, तो पितर बहुत प्रसन्न होते हैं।

दीपक किस दिशा में जलाना चाहिए?

दीपक हमेशा घर के मुख्य द्वार पर जलाना चाहिए। अगर दीपक पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके जलाया जाए तो सबसे शुभ माना जाता है, लेकिन अगर घर का द्वार किसी और दिशा में है, तो दीपक वहाँ भी रखा जा सकता है। शाम के समय यह दीपक जलाना सबसे अच्छा होता है। कहते हैं कि पितर मिट्टी के दीपक की तुलना में आटे के दीपक से अधिक प्रसन्न होते हैं, क्योंकि आटे को शरीर का रूप माना जाता है। मुलायम आटे से बना दीपक उनके सूक्ष्म शरीर को अधिक प्रिय होता है।

क्या है लाभ?

आटे के दीपक की लौ न केवल प्रकाश फैलाती है, बल्कि ऐसा भी माना जाता है कि यह घर में लड़ाई-झगड़े को दूर करता है। पति-पत्नी के रिश्ते मधुर बनते हैं और वंश वृद्धि का मार्ग प्रशस्त होता है। यानी एक छोटा सा दीपक पितरों की आत्मा को तृप्त करता है और परिवार के लिए समृद्धि का संदेश लेकर आता है। यही वजह है कि पितृ पक्ष में आटे से बने दीपक जलाने की परंपरा आज भी उसी आस्था और भक्ति के साथ निभाई जाती है।