Ganesh Chaturthi Bharatpur : वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल गणेश चतुर्थी का पर्व 27 अगस्त को मनाया जाएगा। गणेश चतुर्थी को लेकर बाजारों में भगवान गणेश की मूर्ति बिकने लगी है। बजारों में तरह-तरह की मूर्तियां देखने को मिल रही है। वहीं राजस्थान के भरतपुर में पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए इस बार भी गणेश उत्सव पर एक अनोखी पहल फिर से देखने को मिली।
गोबर से बना 11 हजार गणेश जी की मूर्तियां
स्वर्ग संस्था की महिलाओं के समूह ने मिलकर भगवान गणेश की गोबर से 11000 मूर्तियां तैयार की है। आपको बता दें कि मिट्टी और पीओपी प्लास्टिक ऑफ पेरिस से बनी मूर्तियों के कारण जल प्रदूषण होता है। लेकिन गोबर से बनी मूर्तियां पूरी तरीके से प्राकृतिक और 100% बायोडिग्रेडेबल होती है।
संस्था के लोगों का कहना है कि यदि गणेश जी की मूर्ति विर्सजन करने के बाद जलस्त्रोतों को प्रदूषण से बचने के साथ-साथ यह खाद के रूप में उपयोगी साबित होती हैं। इसलिए हर साल यह संस्था प्रयास करती है कि गोबर से बने आइटमों को मार्केट में लाया जाए।
3 इंच से 12 इंच तक गोबर के गणेश जी की मूर्ति
गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश की मूर्ति बनाने को लेकर होली के बाद ही तैयारियां शुरू हो जाती हैं। होली के बाद से ही गोबर से बने गणेश जी को बनाने का कार्य स्वर्ग संस्था की महिलाएं कार्य करना शुरू कर देती है। जैसे-जैसे यह सूखती जाती हैं उन पर रंगाई का भी काम शुरू कर दिया जाता है। उनके यहां 3 इंच से लेकर 12 इंच तक गोबर के गणेश तैयार किए जाते हैं। इसके अलावा इसमें तुलसी, अश्वगंधा और पीपल के बीच डाले जाते हैं जिससे कि पौधारोपण को भी बढ़ावा मिल सके।
बता दें कि 300 महिलाओं ने 10 क्विंटल गोबर से 11000 गणेश जी की मूर्तियां तैयार की है। इसके साथ ही समाजसेवियों व धार्मिक नेताओं से अपील की कि धरती व जल को बचाने के लिए गोबर से निर्मित मूर्तियों को बढ़ावा दें।