Green Hydrogen Hub in Rajasthan: राजस्थान में ग्रीन हाइड्रोजन हब के विकास की दिशा में कदम बढ़ाए जा चुके हैं। जोधपुर के आईआईटी कैंपस में पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल के तहत करीब 250 करोड़ रुपये की लागत से उत्तर भारत का सबसे बड़ा हाइड्रोजन क्लस्टर स्थापित किया जाएगा। इस हब के निर्माण से अनेक विकास कार्यों को तो बल मिलेगा ही साथ ही 60 हजार से अधिक युवाओं को नए रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे।

हर वर्ष 350 टन हाइड्रोजन उत्पादन का लक्ष्य

इस क्लस्टर के जरिए हर वर्ष 350 टन हरित हाइड्रोजन का उत्पादन अपशिष्ट जल से किया जाएगा। इसके लिए क्षारीय जल इलेक्ट्रोलाइजर व सौर ऊर्जा का इस्तेमाल होगा। इसके अलावा, हर साल लगभग 15 टन जैव मास से भी हरित हाइड्रोजन का उत्पादन किया जाएगा। तैयार किया गया यह हाइड्रोजन परिवहन सेक्टर, अमोनिया निर्माण और सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क में ईंधन मिश्रण के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा। इस परियोजना को सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल के तहत विकसित किया जाएगा। अनुमान है कि इसमें प्रति किलोग्राम ग्रीन हाइड्रोजन तैयार करने की लागत करीब 3 डॉलर के होगी।

आईआईटी जोधपुर द्वारा प्रायोजित होगा ग्रीन क्लस्टर हब

आईआईटी जोधपुर द्वारा प्रायोजित सेक्शन 8 कंपनी, जेएचवी इनोवेशन फाउंडेशन ने उत्तर भारत के सबसे पहले बनने वाले ग्रीन हाइड्रोजन हब जोधपुर हाइड्रोजन वैली इनोवेशन क्लस्टर के मॉडल के विषय में उच्च स्तरीय विचार विमर्श किया गया है। इसके पूर्व आईआईटी जोधपुर व राजस्थान सरकार ने ‘राइजिंग राजस्थान समिट’ में एक एममयू पर सामूहिक हस्ताक्षर किए हैं जिसके अंतर्गत ये निर्णय लिया गया कि आईआईटी परिसर में ही नवीकरणीय ऊर्जा से हाइड्रोजन उत्पादन किया जाएगा। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जोधपुर हाइड्रोजन वैली इनोवेशन क्लस्टर देश के पूरे उत्तरी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करेगा जोधपुर में भारत का चौथा हाइड्रोजन क्लस्टर बनेगा। इसी तरीके से साउथ में भी हाइड्रोजन क्लस्टर का निर्माण किया जाएगा।

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