Radha Ashtami 2025: वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण का जन्मदिन 16 अगस्त को मनाई गई थी। ठीक 15 दिन बाद राधा जयंती यानी राधा अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। आपको बता दें कि प्रत्येक साल भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधा अष्टमी का पर्व मनाया जाता है।

राधा अष्टमी के दिन श्री राधारानी का प्राकट्य दिवस माना जाता है। धार्मिक और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, राधा अष्टमी के दिन व्रत रखा जाता है। मान्यता है कि जो जातक इस दिन सच्चे मन से राधा रानी की पूजा-अर्चना करते हैं, उनके घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है। इसके साथ ही सभी पापों से मुक्ति भी मिल जाती है। तो आज इस खबर में राधा अष्टमी के बारे में विस्तार से जानते हैं।

कब है राधा अष्टमी

वैदिक पंचांग के अनुसार, राधा अष्टमी का पर्व 30 जुलाई को रात 10 बजकर 46 मीनट पर शुरू हो रहा है और समापन अगले दिन यानी 31 अगस्त को देर रात 12 बजकर 57 मिनट तक है। उदयातिथि के अनुसार, राधा अष्टमी का पर्व 31 अगस्त को मनाया जाएगा।

राधा अष्टमी का महत्व

राधा अष्टमी का व्रत एवं पूजन व्यक्ति के जीवन में भक्ति, प्रेम और सौभाग्य की वृद्धि करता है और इसे करने वाला भक्त राधा-कृष्ण के परम प्रेम का अधिकारी बन जाता है। व्रत करने वाले व्यक्ति को अखंड सौभाग्य और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है तथा भक्ति मार्ग पर स्थिरता और श्रीकृष्ण की कृपा का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

मान्यता है कि जो भक्त राधा अष्टमी के दिन राधा-राधा नाम का जाप करता है। उस भक्त को भगवान श्री कृष्ण स्वयं आशीर्वाद देते हैं। और अपनी कृपा हमेशा बनाए रखते हैं।