Rajasthan Temple: राजस्थान में कई ऐसे प्राचीन मंदिर मौजूद है जो आज भी भक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र मानें जाते हैं। इन्हीं ऐतिहासिक मंदिरों में से एक है अजमेर का मांगलियावास कल्पवृक्ष मंदिर, जहां पूरे साल भक्तों की भारी भीड़ रहती है।मंदिर के मेला मैदान में सालाना हरियाली अमावस्या के खास मौके पर मेले का आयोजन किया जाता है। मेले में देश के कोने से कोने से लोग भगवान के दर्शन करने यहां आते हैं। पंचायत प्रशासन की ओर से मंदिर की देखभाल की जा रही है।
समुद्र मंथन में प्राप्त हुए 14 रत्नों में से एक है यह मंदिर
इस मंदिर की खास बात यह है कि यह समुद्र मंथन में प्राप्त हुए 14 रत्नों में से एक है। यहां के नर-नारी कल्पवृक्ष विश्वविख्यात हैं। हर साल मंदिर कमेटी और पंचायत प्रशासन द्वारा श्रावण मास की कृष्ण पक्ष अमावस्या को हरियाली अमावस्या के अवसर पर मेले का आयोजन किया जाता है। माना जाता है भक्तों द्वारा मांगी गई हर मनोकामना यहां पूरी होती है। पिछले 800 साल से यह मेला मांगलियावास में आयोजित होता आ रहा है। पौराणिक धर्म ग्रंथों और हिन्दू मान्यताओं के मुताबिक समुद्र मंथन के 14 रत्नों में से एक कल्पवृक्ष था। इसके बारे में यह भी कहा जाता है कि कल्पान्त तक कल्पवृक्ष का अंत नहीं होता है।
श्रद्धा का प्रमुख केंद्र
माना जाता है कि साधु मंगल सिंह अपने शिष्य फतेहसिंह के साथ कल्पवृक्ष के नीचे एक डेरा डाल कर बैठ गए थे। इसी दौरान उन्होंने एक जति को आसमान से कल्पवृक्ष को ले जाते देखा तो उन्होंने उसे उतरवा लिया। इसके बाद ही इस जगह का नाम कालान्तर में साधु मंगल सिंह के नाम पर पड़ गया। सालाना लगने वाले इस मेले में पुष्कर, केकड़ी, मसूदा, ब्यावर, अजमेर, विजयनगर, किशनगढ़ अन्य जगहों से लोग हजारों की संख्या में यहां शामिल होते हैं। यह स्थान भक्तों की आस्था का एक प्रमुख केंद्र माना जाता है।