Karva Chauth 2025 : करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए सबसे पवित्र और भावनात्मक व्रत होता है। इस दिन महिलाएं सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक निर्जल व्रत रखती हैं और अपने पति की लंबी आयु, सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना करती हैं।

लेकिन हर साल यह सवाल उठता है कि क्या महिलाएं मासिक धर्म के दौरान करवा चौथ का व्रत रख सकती हैं? यह विषय धार्मिक परंपराओं, सामाजिक मान्यताओं और आधुनिक दृष्टिकोण के बीच संतुलन का प्रतीक बन गया है।

हिंदू धर्मग्रंथों और परंपराओं के अनुसार, महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान धार्मिक गतिविधियों और पूजा-पाठ से दूर रहने की सलाह दी जाती है। प्राचीन मान्यता के अनुसार, इस दौरान महिलाओं का शरीर प्राकृतिक शुद्धि की अवस्था में होता है, जिसके लिए आराम और ऊर्जा संरक्षण की आवश्यकता होती है।

इसीलिए, करवा चौथ के दिन अगर कोई महिला मासिक धर्म से गुज़र रही है, तो उसे पारंपरिक रूप से उपवास या अनुष्ठान करने से परहेज करने की सलाह दी जाती है। ऐसा माना जाता है कि पूजा के दौरान लंबे समय तक बैठे रहना और निर्जल व्रत रखना शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है।

आधुनिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण

विज्ञान के अनुसार, मासिक धर्म एक प्राकृतिक शारीरिक प्रक्रिया है और इसे किसी भी प्रकार की अशुद्धता से जोड़ना गलत है। यह बस एक जैविक चक्र है जो हर महिला के शरीर में स्वाभाविक रूप से चलता है।

डॉक्टरों का कहना है कि अगर कोई महिला स्वस्थ है और खुद को सक्षम महसूस करती है, तो वह करवा चौथ का व्रत रख सकती है, लेकिन उसे अपनी सेहत का ध्यान रखना चाहिए।

लंबे समय तक भूखा-प्यासा रहना, अगर इससे कमज़ोरी या दर्द बढ़ता है, तो शरीर के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। इसलिए, कई महिलाएं इस दिन प्रतीकात्मक व्रत रखती हैं, केवल फल या तरल आहार लेती हैं।

आज कई महिलाएं मानती हैं कि आस्था और भक्ति दिल से आती है, और शारीरिक स्थिति को इसमें बाधा नहीं डालनी चाहिए। कुछ महिलाएं परंपराओं का सम्मान करते हुए, अपने मासिक धर्म के दौरान व्रत नहीं रखतीं।

अंततः, यह पूरी तरह से एक व्यक्तिगत निर्णय है। अगर कोई महिला चाहे, तो वह व्रत रख सकती है या केवल संकल्प के रूप में पूजा कर सकती है। भगवान भावनाओं और भक्ति को देखते हैं, शारीरिक स्थिति को नहीं।