Chhath Puja Jaipur: लोक आस्था और संयम का प्रतीक छठ पर्व शनिवार को भक्ति और उल्लास के वातावरण में शुरू हो गया। राजधानी के विभिन्न इलाकों में पूर्वांचल की परंपराओं, भक्ति और लोकगीतों का संगम देखने को मिला। सुबह से ही व्रती महिलाओं ने स्नान कर लौकी और चावल का सात्विक भोजन ग्रहण किया। धूप, दीप और लोकगीतों ने वातावरण को भक्तिमय बना दिया।
"कांचा ही बांस के बहंगिया" जैसे पारंपरिक गीत शहर के मोहल्लों और कॉलोनियों में गूंजते रहे। रविवार को खरना (छठ पूजा) के साथ 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू होगा, जिसमें व्रती महिलाएं सूर्य देव और छठी मैया की पूजा कर अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करेंगी।
छठ घाटों पर जगमगाती रोशनी
जयपुर के गलता तीर्थ सहित कई प्रमुख घाटों को रंग-बिरंगी मालाओं, फूलों और दीपों से सजाया गया है। नगर निगम और स्थानीय समितियों ने अस्थायी घाटों पर सफाई, रोशनी, पेयजल और सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए हैं। सिविल लाइंस विधायक गोपाल शर्मा ने भी घाटों पर जाकर श्रद्धालुओं को आशीर्वाद दिया। गलता तीर्थ, जयसिंहपुरा खोर, आमेर, मुरलीपुरा और प्रतापनगर जैसे इलाकों में छठ पर्व अपने चरम पर है।
गोविंद देवजी मंदिर में सूर्य पूजा और सामूहिक यज्ञ
सूर्य उपासना का महापर्व डाला छठ रविवार को गोविंद देवजी मंदिर में विशेष श्रद्धा के साथ मनाया जाएगा। महंत अंजन कुमार गोस्वामी के मार्गदर्शन में सुबह 9 से 11 बजे तक सूर्य गायत्री महायज्ञ और सामूहिक सूर्य अर्घ्यदान का आयोजन होगा। युग तीर्थ शांतिकुंज, हरिद्वार की एक टीम विधि-विधान से यज्ञ का संचालन करेगी। श्रद्धालुओं को पूजन सामग्री और हवन सामग्री निःशुल्क प्रदान की जाएगी।
गंगा जल का सामूहिक अर्घ्य और एकता का संदेश
यज्ञ के बाद, श्रद्धालु गंगा और अन्य पवित्र नदियों का जल सूर्य को अर्पित करेंगे। गायत्री परिवार के मुख्य ट्रस्टी ओमप्रकाश अग्रवाल ने बताया कि यह आयोजन सभी समुदायों को एकता और सद्भाव के सूत्र में पिरोने का एक प्रयास है।
गायत्री परिवार की परंपरा के अनुसार, सभी को गायत्री चालीसा और सत्संकल्प पत्र भी निःशुल्क वितरित किए जाएँगे। छठ पर्व के अगले चरण में, रविवार शाम को डूबते सूर्य और सोमवार सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। जयपुर में यह आयोजन न केवल धार्मिक आस्था, बल्कि संस्कृति, अनुशासन और सामाजिक एकता का जीवंत प्रतीक बन गया है।