Ark Plant Benefits : वैसे तो शिव सर्वप्रिय देवता हैं क्योंकि वे अपने भक्तों की पूजा से बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं। जैसा कि आप सब जानते हैं कि सावन के महीने में भोलेनाथ की भक्ति चरम पर होती है। भक्त इनकी पूजा अनेक विधियों से करते हैं। कांवरिया बड़ी दूर से गंगा जल अपने कंधे पर लेकर आते हैं और भोले बाबा का अभिषेक करते हैं।

भोलेनाथ की पूजा करते समय भक्त उन सभी चीजों को चढ़ाते हैं जो उन्हें बहुत प्रिय होती है जैसे चंदन,भांग, बेलपत्र,अर्क, अक्षत, धतूरा आदि। लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दें कि एक ऐसी भी चीज़ है जो शंभूनाथ को बहुत पसंद है।

इसकी विशेष बात ये है कि ये आपकी त्वचा को स्वस्थ सुंदर बनाकर निखारती भी है। आइए जानते उस विशेष चीज के विषय में जो महादेव को प्रिय है और उनके भक्तों की त्वचा के लिए खास उपयोगी।

महादेव का प्रिय आक वृक्ष है खास 

भगवान शिव की पूजा के लिए प्रयोग होने वाला आक के पौधे का केवल धार्मिक महत्व नहीं है बल्कि आयुर्वेद में इसे बहुत गुणकारी और त्वचा के लिए लाभदायक माना जाता है। आक के पौधे को अकवन,मदार व अकौआ भी कहा जाता है।

भोलेनाथ की पूजा के समय शिवलिंग पर भक्त मदार के पत्ते और फूल चढ़ाते हैं। ऐसी मान्यता है कि शिव के प्रिय वृक्ष के फूलों की माला बनाकर चढ़ाने से भोलेनाथ अपने भक्तों की मनोकामना पूरी कर उनका हर दुःख दूर करते हैं। ये भी मान्यता है कि सावन के हर सोमवार को मदार के पत्तों से भोलेनाथ का अभिषेक करना विशेष फलदाई होता है।

त्वचा के अनेक रोगों से मिलती है निजात

पूजा के अलावा मदार के पौधे का इस्तेमाल आयुर्वेद में औषधि के रूप में भी बहुत लाभदायक माना जाता है। त्वचा संबंधी अनेक रोग जैसे एग्जिमा, खुजली व दाद में रामबाण औषधि की तरह काम करता है आक का पौधा।

इस पौधे से दूध की तरह निकलने वाले सफ़ेद पदार्थ का शरीर पर लेप किया जाता है। इस पेड़ की औषधि से पेट, हड्डियों और त्वचा संबंधी बीमारियों से निजात मिलती है। 

गठिया रोग में भी आरामदायक 

गठिया रोग से पीड़ित लोग आक के पत्तों को गुनगुना गर्म करके, उस पर सरसों का तेल लगाकर तकलीफ वाले स्थान पर बांधते हैं। इससे उन्हें दर्द में बहुत राहत मिलती है। ऐसा माना जाता है कि सांप व बिच्छू काटने पर भी आक का इस्तेमाल करते हैं पर बेहतर यही होगा कि इस तरह के प्रयोग के पहले किसी अनुभवी जानकार से सलाह ले ली जाए।

दरअसल उपरोक्त सलाह इसलिए दी जा रही है क्योंकि मदार का दूध विषाक्त प्रवृत्ति का माना जाता है । विशेषज्ञों से सलाह लेने से ये जाना जा सकता है कि किस रोग में कितनी मात्रा में इसका प्रयोग करना चाहिए।

यह भी पढ़ें...Sawan Somwar or Ekadashi: सावन में सोमवार और एकादशी का दुर्लभ संयोग, जानिए संयुक्त व्रत की पूजा विधि