Dhanteras 2025 : दिवाली से पहले धनतेरस का महापर्व मनाया जाता है। इस दिन खरीदारी का विशेष महत्व होता है। हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस विशेष दिन पर भगवान गणेश और "धन की देवी" लक्ष्मी की पूजा की जाती है। सुख-समृद्धि प्राप्ति के लिए यह दिन अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन लक्ष्मी और गणेश के साथ भगवान धन्वंतरि की पूजा करने का शास्त्रीय विधान है।

हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी तिथि को भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है। शास्त्रों में धन्वंतरि को "आयुर्वेद का जनक" माना गया है। धार्मिक मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि अमृत और औषधियों के साथ प्रकट हुए थे। उन्हें भगवान विष्णु का एक रूप भी माना जाता है। धन त्रयोदशी तिथि पर वर्ष में केवल एक बार उनकी पूजा की जाती है।

जड़ी-बूटियों से हवन करें

धन त्रयोदशी तिथि पर धन्वंतरि की पूजा करने से अक्षय का वरदान प्राप्त होता है। इसलिए इस दिन पूजा-अर्चना के बाद हवन करना चाहिए। हवन में जड़ी-बूटियों का भी प्रयोग करना चाहिए। इससे सभी प्रकार के रोगों और बाधाओं से मुक्ति मिलती है।

धनतेरस पर 3 अद्भुत संयोग

इस वर्ष धनतेरस 18 अक्टूबर को है। वैदिक पंचांग के अनुसार, इस दिन कई शुभ संयोग बन रहे हैं। इस दिन त्रिपुष्कर योग, इंद्र योग और ब्रह्म योग का अनूठा संयोग बन रहा है। ज्योतिषीय गणना के अनुसार, त्रिपुष्कर योग 18 अक्टूबर को सुबह 6:31 बजे से शुरू होकर सुबह 10:41 बजे तक रहेगा। इंद्र योग सुबह 7:50 बजे से शुरू होगा।

शाम को लक्ष्मी और गणेश की पूजा कैसे करें

धनतेरस पर, शाम के समय धन की देवी लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए। इस दौरान देवी लक्ष्मी को नए वस्त्र, चावल के लड्डू और मिठाई अर्पित करनी चाहिए। इसके अलावा, उनके सामने धन रखना चाहिए और इस धन को वर्ष भर तिजोरी में सुरक्षित रखना चाहिए।

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